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पति से प्यारा देवर | Pati Se Pyara Devar | Saas Bahu | Moral Stories | Saas Bahu Ki Kahani | Bed Time Story | Hindi Stories

आज की इस कहानी का नाम है - " पति से प्यारा देवर " यह एक Bhabhi Ki Kahani है। अगर आपको Devar Bhabhi Ki Kahani, Hindi Kahani या Bedtime Stories पढ़ें।
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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है - " पति से प्यारा देवर " यह एक Bhabhi Ki Kahani है। अगर आपको Devar Bhabhi Ki Kahani, Hindi Kahani या Bedtime Stories पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।

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Pati Se Pyara Devar | Bhabhi Ki Kahani | Moral Stories | Devar Bhabhi Ki Kahani | Hindi Stories



पति से प्यारा देवर

मोनिका की शादी को एक साल हो चुका था। मोनिका की अरेंज मैरिज थी, इसलिए उसे अशोक पसंद नहीं था। 

मोनिका अशोक की तरफ ज्यादा ध्यान नहीं देती थी। मोनिका का सारा ध्यान हमेशा अपने देवर (सुमित) की तरफ ही रहता था।

अशोक," मम्मी, मोनिका कहाँ है... दिखाई नहीं दे रही ? "

मां," पता नहीं, अभी तो रसोई में थी। बोल रही थी कि आज खीर बना रही है। तुम्हारा खीर खाने का बहुत मन है ? 

तुमने उसे ऑफिस से फ़ोन कर दिया था कि आज खीर बना देना। "

अशोक," मैंने तो कोई फ़ोन नहीं किया। अच्छा चलो कोई बात नहीं... अगर उसने इतने प्यार से बनाई हैं तो खा लूँगा। "

अशोक (आवाज लगाते हुए)," मोनिका... मोनिका कहाँ हो ? "


सुमित के कमरे में...
मोनिका," क्या बात है देवर जी... आपने अभी तक खीर को टेस्ट भी नहीं करके बताया कि कैसी है ? मैंने इतने प्यार से आपके लिए खीर बनाई थी। 

आपको खीर में किशमिश पसंद है इसलिए मैंने ढेर सारी डाली है। "

सुमित," थैंक यू भाभी ! आप मेरा कितना ख्याल रखती हो ? काश ! मेरी फ्यूचर वाइफ भी आपके जैसी हो। "

मोनिका," आप जब इस तरह से मीठी मीठी बातें करते हो ना तो मुझे बहुत क्यूट लगते हो। जी तो करता है आपको गले से लगा लूं। "

सुमित," भाभी, आपकी मजाक करने की आदत मुझे समझ नहीं आती। "

मोनिका ( बात पलटते हुए)," अरे हाँ, मैं तो मजाक कर रही थी। चलो अब आप खीर खाओ। 

लगता है अशोक मुझे आवाज लगा रहे है। मैं उनकी बात सुन लूँ ? ये भी आते ही शोर मचाना शुरू कर देते है। "

अशोक अपने कमरे में ही था। मोनिका कमरे में जाती है।

मोनिका," क्या बात है ? इतना चिल्ला क्यों रहे थे ? बोलो, क्या काम है ? "

अशोक," बस ऐसे ही। तुमने मेरे लिए खीर बनाई, ये देखकर मुझे बहुत खुशी हुई। इसलिए तुम्हें थैंक यू बोलने के लिए आवाज लगा रहा था। "

मोनिका," तुम्हारे लिए नहीं बनाई वो खीर मैंने, अपने प्यारी देवर जी के लिए बनाई है। देवर जी को मेरे हाथों की खीर बहुत पसंद है ना इसलिए। "

अशोक," ओह ! अच्छा अच्छा... चलो ये भी अच्छी बात है। भाभी हो तुम उसकी, अपने देवर की पसंद का ख्याल तुम नहीं रखोगी तो और कौन रखेगा ? "

अशोक इस बात से अनजान था कि मोनिका के मन में आखिर क्या चल रहा है ? सुमित के मन में ऐसा कुछ नहीं था। 

वह तो यही समझता था कि उसकी भाभी वैसे ही उसका ख्याल रखती है। इसलिए उसने कभी इन बातों पर ध्यान ही नहीं दिया। 

मोनिका अक्सर सुमित के आसपास घूमती रहती। सास को सारी बात समझ में आ रही थी।

एक दिन...
मोनिका," देवर जी, ये देखो मैं मार्केट गई तो ये शर्ट पसंद आ गई। सोचा अगले हफ्ते आपका जन्मदिन है तो आपके लिए ले आई। 


ये शर्ट आपके ऊपर बहुत अच्छी लगेगी। चलो, अब पहन कर तो दिखाना। मैं भी तो देखूं मेरे प्यारे देवर जी इस शर्ट में कैसे लगते हैं ? "

मां," मोनिका बहू, तू अशोक के लिए कुछ नहीं लाई ? कल उसका भी तो जन्मदिन है ना ? "

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मोनिका अपनी सास की बातों को सुनकर घबरा जाती है क्योंकि सचमुच वो अशोक का जन्मदिन भूल चुकी थी। 

उसे तो सिर्फ सुमित के जन्मदिन का इंतजार था। वो बात को पलटने लगती है।  

मोनिका," हाँ हाँ मम्मी जी, मैंने एक शर्ट पसंद की है। शाम को अशोक को अपने साथ ले जाउंगी तो वो भी एक बार पसंद कर लेंगे, तभी सोच रही थी हाथों हाथ खरीद दूंगी। "

सुमित," थैंक यू भाभी, ये शर्ट मुझे बहुत पसंद आई है। मेरे जन्मदिन का सबसे पहला गिफ्ट आपने ही दिया है। "

मां (मन में)," मुझे सब पता है बहू तेरे मन में क्या चल रहा है ? मुझे अब इसका हल जल्द ही ढूँढना होगा। "

दिन व दिन मोनिका का सुमित से नजदीकियां बढ़ाना बढ़ता ही जा रहा था। अगले दिन अशोक का जन्मदिन था। मोनिका तबियत खराब का बहाना करके कमरे में ही लेटी रही। 

अशोक के कुछ दोस्त उसे जन्म दिन की बधाई देने आए तो उन्होंने केक वगैरह कटवाया पर मोनिका उनके सामने भी कमरे से बाहर नहीं आ रही थी।

अशोक," मोनिका, मेरे फ्रेन्डस जन्मदिन की बधाई देने के लिए आए हैं। उनके लिए चाय स्नेक्स वगैरह का कुछ अरएन्जमेंट अगर तुम कर देती तो...। 

वो लोग बहुत देर से बैठे हुए हैं। मम्मी रसोई में अकेले इतना नहीं संभाल पाएंगी। "

मोनिका," मेरे सिर में बहुत दर्द है अशोक और तुम्हें अपना जन्मदिन मनाने की पड़ी है। तुम कैसे हो, अशोक ? तुम्हे मेरी तबियत का बिल्कुल भी ख्याल नहीं है ? "

अशोक," ओह ! सॉरी मोनिका, मेरा वो मतलब नहीं था। कोई बात नहीं... तुम आराम करो, मैं नाश्ता बाजार से ऑर्डर कर दूंगा। "

तभी सुमित कमरे में आ जाता है।

सुमित," भाभी, मेरे कुछ फ्रेन्डस भैया को जन्मदिन की बधाई देने के लिए आए। मैंने उन्हें कहा था कि आपके हाथ के ब्रेड पकौड़े बहुत टेस्टी होते हैं। 

चलो कोई बात नहीं... अगर आपकी तबियत खराब है तो मैं बाहर से कुछ ऑर्डर कर लेता हूँ। "


मोनिका," बाहर से क्यों ऑर्डर करना देवर जी ? मैं गरमा गरम ब्रेड पकौड़े अभी बना देती हूँ।

आखिर आपके दोस्त पहली बार आए हैं और मेरे हाथ के ब्रेड पकौड़ी खाने चाहते हैं तो ब्रेड पकौड़ा बनाने में मुझे देर ही कितनी लगेगी ? "

इस समय अशोक भी वहां सामने मौजूद था। यह सब बातें सुनकर उसे थोड़ा अजीब लगा।

अशोक," मोनिका, अभी जो मैंने बोला तब तो तुम्हारी तबियत खराब थी पर जैसे ही सुमित ने कहा तो तुम एकदम से उठ गई। 

ये ठीक नहीं है मोनिका। कहीं ऐसा ना हो कि एक दिन तुम्हें पछताना पड़े ? "

मोनिका की सास जान चुकी थी कि पानी सिर से ऊपर उठ गया है। इसलिए अब उसने सोचा कि सुमित की शादी हो जाए। 

सलिए अशोक ने माँ के कहने पर सुमित के लिए लड़की ढूंढना शुरू कर दिया और सुमित को एक लड़की पसंद आ गई।

लड़की का नाम अर्चना था। मोनिका अर्चना को देखकर जलन से भर गयी। सुमित अर्चना से फ़ोन पर बात करता तो मोनिका और भी गुस्से में आ जाती।

मोनिका," देवर जी, मैंने आपके लिए इतनी मेहनत करके पिज़्ज़ा बनाया और आपने पिज़्ज़ा खाया तक नहीं। "

सुमित (फोन पर)," एक सेकंड अर्चना, ज़रा होल्ड करना। "

सुमित," सॉरी भाभी ! वो अर्चना का फ़ोन आ गया था इसलिए। मैं अभी खा लेता हूँ। "

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सुमित ( फोन पर)," अर्चना, मैं तुम्हें थोड़ी देर बाद फ़ोन करता हूँ। "

मोनिका," अरे ! ये लो मेरे हाथ से खाओ... ये लो। "

सुमित," रुको। अरे ! मुझे उठने तो दो। "

मोनिका जानबूझकर सुमित से चिपकने लगती है। सुमित को ये सब बहुत अटपटा सा लग रहा था। उसे हल्का सा गुस्सा भी आया। 


तभी अर्चना का फ़ोन आ जाता है। मोनिका कॉल देख लेती है और सुमित के हाथ से फ़ोन छीनकर काट देती है।

सुमित," भाभी, ये क्या बदतमीजी है ? आपने अर्चना का फ़ोन क्यों काट दिया ? "

मोनिका," तुम पहले मेरे से बात करो। मैं तुम्हारे आगे पीछे घूमती हूँ, तुम्हारे लिए इतना सब करती हूँ और तुम मेरी तरफ ध्यान देने की जगह जो अभी तक तुम्हारी वाइफ बनी ही नहीं है, उस पर ध्यान दे रहे हो। "

सुमित," मैं आपका बिलकुल भी मतलब नहीं समझ पा रहा हूँ। आप हटो, मुझे अर्चना से मिलने जाना है। 

हम दोनों एक रेस्टोरेंट में मिल रहे हैं इसलिए मुझे अभी जाना है। मुझे देर हो रही है। "

कुछ दिनों में सुमित और अर्चना की शादी हो जाती है। अब शादी के बाद सुमित अपनी वाइफ पर ही ध्यान देता था। 

सुमित और अर्चना दोनों अपनी लाइफ में बहुत खुश थे। ये देखकर मोनिका मन ही मन अर्चना से ज्यादा नफरत करने लगी। 

अर्चना और सुमित मूवी देखने जाने वाले थे। मोनिका ये बात जानती थी। 

अर्चना तो यही सोचती थी कि मोनिका उसकी बड़ी जेठानी है। इसलिए वो उसी तरह से उससे अच्छा व्यवहार करती थी।

अर्चना," भाभी, आप भी हमारे साथ मूवी देखने चलो ना। चलो ना भैया। आज हम चारों एक साथ मूवी चलते हैं। "

मोनिका," ठीक है, मैं जल्दी से तैयार हो जाती हूँ। "

अशोक," मोनिका, अब मेरा मूवी देखने जाने का बिल्कुल भी मन नहीं है। सुमित और अर्चना को अकेले जाने देते हैं ना ? हम फिर किसी दिन चलेंगे। "

मां," अशोक ठीक कह रहा है बहू। उन दोनों को जाने दो, तुम कल चले जाना। "

मोनिका," नहीं, मुझे आज ही जाना है। अब वो दोनों इतने प्यार से कह रहे हैं तो उन्हें मना कैसे कर दूं ? "

सुमित," अर्चना, मेरा बिलकुल भी मन नहीं है। मेरे सर में बहुत दर्द हो रहा है। 

अगर तुम बुरा ना मानो तो हम मूवी का प्लान फिर किसी दिन बना लें ? आज भैया भाभी को जाने दो। "

अर्चना," अरे ! तुम्हारे सिर में दर्द है, तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताया ? रुको... तुम कमरे में चलो, मैं तुम्हारे माथे पर बाम लगा देती हूँ और गर्म गर्म अदरक वाली चाय बना लाती हूँ। "

मोनिका सुमित और अर्चना का आपस में प्यार देखकर चिढ़ जाती है। वो गुस्से में अपने कमरे में पैर पटककर जाने लगती है कि आंगन में रखी बाल्टी से उसका पैर टकरा जाता है और वो बहुत तेज जमीन पर गिर जाती है।


वो देखती है सुमित उसे उठाने नहीं आता। वो उसे देखकर कमरे में चला जाता है। पर उसका पति अशोक भागा हुआ उसके पास आता है।

अशोक," मोनिका, तुम ठीक हो ना ? तुम्हें ज्यादा चोट तो नहीं आई ? कहाँ ध्यान रहता है पता नहीं ? 

बिल्कुल भी अपना ध्यान नहीं रखती हो। अपना हाथ दो। आराम से... उठो। "

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मोनिका की आँखों में आंसू आ जाते हैं। वो जिस पवित्र रिश्ते को आज तक समझ नहीं पाई, उसका मतलब आज उसे साफ साफ समझ आ रहा था।

वो जान गई कि उसकी असली खुशी उसके पति के साथ ही है।उस दिन से मोनिका ने अपना व्यवहार ठीक कर लिया और अशोक के साथ अपने रिश्ते को मजबूत बनाने की कोशिश करने लगी।

आज की ये ख़ास और मज़ेदार कहानी आपको कैसी लगी ? नीचे Coment में जरूर बताएं।

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